प्रो. मदनमोहनपाठक द्वारा संचालित वेदानन्दआश्रम

      वेदानन्दआश्रम स्व. पण्डित वैद्यनाथपाठकजी द्वारा संस्थापित तथा प्रो.मदनमोहनपाठक द्वारा संचालित है । संचालक को इसकी प्रेरणा श्रीजगन्नाथधाम में स्थित महंथ श्री रामचन्द्र रामानुजदास जी से मिली  । जिनके जीवन का उद्देश्य ही था आर्थिक एवं शैक्षिक संसाधनों से दीन हीन व जरूरतमन्दों को सर्वविध सेवा व सहयोग प्रदान करना  । एतदर्थ उन्होंने श्रीक्षेत्र में ही श्रीरामचन्द्रस्वामी सेवाश्रम की स्थापना की । जिसके अन्तर्गत उत्कृष्ट वेदविद्यालय तथा अत्याधुनिक संसाधनों से सम्वलित चिकित्सालय की स्थापना भी हुई। कालविज्ञान में भी उनकी अगाध श्रद्धा थी। जिसके परिणामस्वरूप श्रीजगन्नाथ-पञ्चाङ्गम्  ISSN- 2320 – 3501 के प्रकाशनार्थ आर्थिक सहयोग भी करते रहे।

      वेदानन्दआश्रम के सञ्चालक आचार्य मदनमोहनपाठक के जीवन निर्माण में पृथ्वी के तीन प्रत्यक्ष देवता माता- पू. श्रीमती लालमतीदेवी, पिता- पू. पण्डित वैद्यनाथपाठक गुरु– महामहोपाध्याय पण्डित कल्याणदत्तशर्मा जी का अविस्मरणीय योगदान रहा है । इन सभी के प्रत्यक्ष आशीर्वाद की अनुभूति आज भी होती है । अत: इस सभी प्रकल्पों का पुण्यबल उनके श्रीचरणों में सादर समर्पित है ।

     इसके साथ ही विद्यागुरु प्रो. रामचन्द्र झा, प्रो. शिवाकान्त झा (संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा बिहार ) प्रो. रामचन्द्र पाण्डेय (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय काशी ), प्रो. शुकदेव चतुर्वेदी, प्रो. रामदेव झा, प्रो. ओंकार नाथ चतुर्वेदी (श्री ला.ब.शा.रा.सं.विद्यापीठ दिल्ली) प्रो. सर्वनारायणझा (वर्तमान कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा बिहार ) प्रभृति पूज्य जनों के प्रति कार्तज्ञ कुसुमांजलि समर्पित है ।

 

वेदानन्दआश्रम मुख्यालय द्वारा संचालित कार्यक्रमों के मुख्य उद्देश्य :-

 

  1. ज्योतिर्विज्ञान अनुसन्धान केन्द्र के द्वारा विकास-पथ से दिग्भ्रमित लोगों को दिशा प्रदान करना ।
  2. आर्थिक रूप से असहाय छात्रों को अध्ययनार्थं समुचित मार्गदर्शन करना।
  3. संस्कृत जगत में अध्ययन सम्पन्न करने वाले अनुद्योगी छात्रों को ज्योतिष तथा कर्मकाण्ड आदि के माध्यम से वृत्ति उपलब्ध कराना।
  4. ज्योतिष तथा कर्मकाण्ड के माध्यम से रोगियों की चिकित्सा को सफल कराना।
  5. प्राचीन हस्तलेखों को प्रकाशित कराना।
  6. दृक्सिद्ध श्रीजगन्नाथ पञ्चाङ्ग ISSN- 2320-3501 का प्रकाशन।
  7. अखिल भारत की एकमात्र देवनागरी लिपि तथा संस्कृत भाषा की भास्करोदय ( ISSN- 2278-0815 ) नाम की ज्योतिष पत्रिका का प्रकाशन।
  8. शैक्षिक दृष्टि से संस्कृत-प्रशिक्षण, ज्योतिष-प्रशिक्षण एवं कर्मकाण्ड प्रशिक्षण के साथ संस्कृत माध्यम से UPSC तथा PCS की परीक्षा देने वाले परीक्षार्थियों को समुचित मार्गदर्शन करना।
  9. भारतीय संस्कृति की रक्षा के निमित्त सामूहिक उपनयन-संस्कार जैसे महनीय पावन कार्य को सम्पन्न कराना।